भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा गया है। हमारे धर्म शास्त्रों के अनुसार राम सिर्फ एक नाम नहीं अपितु एक मंत्र है, जिसका नित्य स्मरण करने से सभी दु:खों से मुक्ति मिल जाती है। राम शब्द का अर्थ है- मनोहर, विलक्षण, चमत्कारी, पापियों का नाश करने वाला व भवसागर से मुक्त करने वाला। रामचरित मानस के बालकांड में एक प्रसंग में लिखा है-
नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू।।
अर्थात कलयुग में न तो कर्म का भरोसा है, न भक्ति का और न ज्ञान का। सिर्फ राम नाम ही एकमात्र सहारा हैं।
स्कंदपुराण में भी राम नाम की महिमा का गुणगान किया गया है-
रामेति द्वयक्षरजप: सर्वपापापनोदक:। गच्छन्तिष्ठन् शयनो वा मनुजो रामकीर्तनात्।।
इड निर्वर्तितो याति चान्ते हरिगणो भवेत्।
अर्थात यह दो अक्षरों का मंत्र(राम) जपे जाने पर समस्त पापों का नाश हो जाता है। चलते, बैठते, सोते या किसी भी अवस्था में जो मनुष्य राम नाम का कीर्तन करता है, वह यहां कृतकार्य होकर जाता है और अंत में भगवान विष्णु का पार्षद बनता है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो शक्ति भगवान की है उसमें भी अधिक शक्ति भगवान के नाम की है। नाम जप की तरंगें हमारे अंतर्मन में गहराई तक उतरती है। इससे मन और प्राण पवित्र हो जाते हैं, बुद्धि का विकास होने लगता है, सारे पाप नष्ट हो जाते हैं, मनोवांछित फल मिलता है, सारे कष्ट दूर हो जाते हैं, मुक्ति मिलती है तथा समस्त प्रकार के भय दूर हो जाते हैं।