आज की व्यस्त जिंदगी में इंसान के पास काम, जिम्मेदारियों और जरूरतों को पूरा करने की उलझन में ईश्वर स्मरण के लिए वक्त निकालना मुश्किल है। हालांकि धर्मग्रंथों में लिखी बातें कर्म को पूजा का दर्जा देती हैं। किंतु कर्म के साथ-साथ ईश्वर भक्ति और कृपा को भी सफल जीवन का सूत्र भी माना गया है।