भगवती सीता श्रीरामचंद्र की शक्ति और राम-कथा की प्राण है। यद्यपि वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को जानकी-जयंती मनाई जाती है, किंतु भारत के कुछ क्षेत्रों में फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को सीता-जयंती के रूप में मान्यता प्राप्त है। ग्रंथ निर्णयसिंधुमें कल्पतरु नामक प्राचीन ग्रंथ का संदर्भ देते हुए लिखा है, फाल्गुनस्यचमासस्यकृष्णाष्टम्यांमहीपते।जाता दाशरथेपत्नी तस्मिन्नहनिजानकी., अर्थात् फाल्गुन-कृष्ण-अष्टमी के दिन श्रीरामचंद्र की धर्मपत्नी जनक नंदिनी जानकी प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमीके नाम से जाना गया।