भगवान को भोग लगे और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार तुलसी को विष्णु जी की प्रिय मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी डालकर भोग लगाने पर चार भार चांदी व एक भार सोने के दान के बराबर पुण्य मिलता है और बिना तुलसी के भगवान भोग ग्रहण नहीं करते उसे अस्वीकार कर देते हैं।