कर्तव्य और जिम्मेदारियों के पैमाने पर ही इंसान की सही परख और पहचान होती है। इन दायित्वों को समझ और आगे बढ़कर आत्मविश्वास व सक्षमता के साथ पूरा करने पर इंसान पद, सम्मान, भरोसा, सहयोग और प्रेम पाकर जीवन को सफल बना सकता है। व्यावहारिक जीवन में जिम्मेदारियों के निर्वहन का ही समय होता है - गृहस्थ जीवन। आम भाषा में इसे घर बसाना और चलाना भी कहते हैं।