Wednesday, April 13, 2011

मनोकामना पूरी करे वाली स्तुति



भगवान राम का नाम लेने मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं। भगवान राम को प्रसन्न करने के लिए कई स्तुतियां, मंत्र, आरती आदि की रचना की गई है। इनके माध्यम से श्रीराम को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है। ऐसी ही एक स्तुति का वर्णन रामचरितमानस के अरण्यकाण्ड में आया है। भगवान राम की यह स्तुति मुनि अत्रि द्वारा की गई है। इस स्तुति का पाठ करने से भगवान राम भक्त पर प्रसन्न होते हैं तथा उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। यह राम स्तुति इस प्रकार है-

नमामि भक्त वत्सलं । कृपालु शील कोमलं ॥ भजामि ते पदांबुजं । अकामिनां स्वधामदं ॥

निकाम श्याम सुंदरं । भवाम्बुनाथ मंदरं ॥ प्रफुल्ल कंज लोचनं । मदादि दोष मोचनं ॥

प्रलंब बाहु विक्रमं । प्रभोऽप्रमेय वैभवं ॥ निषंग चाप सायकं । धरं त्रिलोक नायकं ॥

दिनेश वंश मंडनं । महेश चाप खंडनं ॥ मुनींद्र संत रंजनं । सुरारि वृंद भंजनं ॥

मनोज वैरि वंदितं । अजादि देव सेवितं ॥ विशुद्ध बोध विग्रहं । समस्त दूषणापहं ॥

नमामि इंदिरा पतिं । सुखाकरं सतां गतिं ॥ भजे सशक्ति सानुजं । शची पतिं प्रियानुजं ॥

त्वदंघ्रि मूल ये नरा: । भजंति हीन मत्सरा ॥ पतंति नो भवार्णवे । वितर्क वीचि संकुले ॥

विविक्त वासिन: सदा । भजंति मुक्तये मुदा ॥ निरस्य इंद्रियादिकं । प्रयांति ते गतिं स्वकं ॥

तमेकमभ्दुतं प्रभुं । निरीहमीश्वरं विभुं ॥ जगद्गुरुं च शाश्वतं । तुरीयमेव केवलं ॥

भजामि भाव वल्लभं । कुयोगिनां सुदुर्लभं ॥ स्वभक्त कल्प पादपं । समं सुसेव्यमन्वहं ॥

अनूप रूप भूपतिं । नतोऽहमुर्विजा पतिं ॥ प्रसीद मे नमामि ते । पदाब्ज भक्ति देहि मे ॥

पठंति ये स्तवं इदं । नरादरेण ते पदं ॥ व्रजंति नात्र संशयं । त्वदीय भक्ति संयुता ॥