जीवन में सुख, शांति और सौंदर्य की कामना है तो मन, वचन व कर्म में सत्य की मौजूदगी भी जरूरी है। शिव हो या शंकर हर स्वरूप व शब्द में भी शमन यानी सुख व शांति का भाव ही छुपा है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले घातक विष को पीकर जगत के दु:खों का शमन किया और इसी मंथन से ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई।
कैलासशिखरस्थं च पार्वतीपतिमुत्तमम् ।
यथोक्तरुपिणं शम्भुं निर्गुणं गुणरुपिणम् ।
पंचवक्त्रं दशभुजं त्रिनेत्रं वृषभध्वजम् ।
कर्पूरगौरं दिव्यांगगं चन्द्रमौलिं कपर्दिनम् ।
व्याघ्रचर्मोत्तरीयं च गजचर्माम्बरं शुभम् ।
वासुक्यादिपरीतांगं पिनाकाद्यायुधान्वितम् ।
सिद्धयोऽष्टौ च यस्याग्रे नृत्यन्तीह निरन्तरम् ।
जयजयेति शब्दैश्च सेवितं भक्तपुंजकैः ।
तेजसा दुस्सहेनैव दुर्लक्ष्यं देवसेवितम् ।
शरण्यं सर्वसत्त्वानां प्रसन्नमुखपंकजम् ।
वेदैः शास्त्रैर्यथागीतं विष्णुब्रह्मनुतं सदा ।
भक्तवत्सलमानन्दं शिवमावाहयाम्यहम् |
- इसके बाद महादेव या शिवलिंग के ऊपर अक्षत यानी, चावल जो टूटे न हो लक्ष्मी कृपा की कामना से चढ़ाएं। यह उपाय धन कामना सिद्धि के लिए बहुत शुभ माना गया है। - अंत में शिव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर दरिद्रता से मुक्त जीवन की कामना करें।
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