वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है। इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें छ: गुणों ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज से सम्पन्न होने के कारण भगवान या 'भगवत' कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं। इस सम्प्रदाय की पांचरात्र संज्ञा के सम्बन्ध में अनेक मत व्यक्त किये गये हैं। 'महाभारत'[1] के अनुसार चार वेदों और सांख्ययोग के समावेश के कारण यह नारायणीय महापनिषद पांचरात्र कहलाता है। नारद पांचरात्र के अनुसार इसमें ब्रह्म, मुक्ति, भोग, योग और संसार–पाँच विषयों का 'रात्र' अर्थात ज्ञान होने के कारण यह पांचरात्र है। 'ईश्वरसंहिता', 'पाद्मतन्त', 'विष्णुसंहिता' और 'परमसंहिता' ने भी इसकी भिन्न-भिन्न प्रकार से व्याख्या की है। 'शतपथ ब्राह्मण'[2] के अनुसार सूत्र की पाँच रातों में इस धर्म की व्याख्या की गयी थी, इस कारण इसका नाम पांचरात्र पड़ा। इस धर्म के 'नारायणीय', ऐकान्तिक' और 'सात्वत' नाम भी प्रचलित रहे हैं।
Monday, October 31, 2011
वैष्णव धर्म / वैष्णव सम्प्रदाय / भागवत धर्म
वैष्णव धर्म या वैष्णव सम्प्रदाय का प्राचीन नाम भागवत धर्म या पांचरात्र मत है। इस सम्प्रदाय के प्रधान उपास्य देव वासुदेव हैं, जिन्हें छ: गुणों ज्ञान, शक्ति, बल, वीर्य, ऐश्वर्य और तेज से सम्पन्न होने के कारण भगवान या 'भगवत' कहा गया है और भगवत के उपासक भागवत कहलाते हैं। इस सम्प्रदाय की पांचरात्र संज्ञा के सम्बन्ध में अनेक मत व्यक्त किये गये हैं। 'महाभारत'[1] के अनुसार चार वेदों और सांख्ययोग के समावेश के कारण यह नारायणीय महापनिषद पांचरात्र कहलाता है। नारद पांचरात्र के अनुसार इसमें ब्रह्म, मुक्ति, भोग, योग और संसार–पाँच विषयों का 'रात्र' अर्थात ज्ञान होने के कारण यह पांचरात्र है। 'ईश्वरसंहिता', 'पाद्मतन्त', 'विष्णुसंहिता' और 'परमसंहिता' ने भी इसकी भिन्न-भिन्न प्रकार से व्याख्या की है। 'शतपथ ब्राह्मण'[2] के अनुसार सूत्र की पाँच रातों में इस धर्म की व्याख्या की गयी थी, इस कारण इसका नाम पांचरात्र पड़ा। इस धर्म के 'नारायणीय', ऐकान्तिक' और 'सात्वत' नाम भी प्रचलित रहे हैं।
Sunday, October 23, 2011
धनतेरस: इस यंत्र के पूजन से मिलेगी दुनिया की हर खुशी
कौन नहीं चाहता कि उसके पास अथाह धन-संपत्ति हो। उसे दुनिया के सारे ऐशो-आराम मिले। कभी किसी चीज की कमी न हो। अगर आप भी यही चाहते हैं तो इस चमत्कारी यंत्र के माध्यम से आपका यह सपना पूरा हो सकता है। यह चमत्कारी यंत्र है कुबेर यंत्र। स्वर्ण लाभ, रत्न लाभ, गड़े हुए धन का लाभ एवं पैतृक सम्पत्ति का लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलता दायक है। इस यंत्र के प्रभाव से अनेक मार्गों से धन आने लगता है एवं धन संचय भी होने लगता है। इस यंत्र की अचल प्रतिष्ठा होती है। धनतेरस(24 अक्टूबर, सोमवार) को इस यंत्र की स्थापना कर इसका पूजन करें।
यंत्र का उपयोग
विल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती है।
मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा
यंत्र का उपयोग
विल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती है।
मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा
इस प्रकार सजी थाली देखकर धन बरसाती हैं महालक्ष्मी
लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाना अति आवश्यक है। तभी देवी लक्ष्मी की कृपा तुरंत ही प्राप्त होती है। पूजन के समय सबसे जरूरी है कि पूजा की थाली शास्त्रों के अनुसार सजाई जाए।
पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।
पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं।
दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम में सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।
तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।
पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।
पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं।
दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम में सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।
तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।
धनतेरस-सोम प्रदोष का दुर्लभ योग, मालामाल बना देगी इस मंत्र से शिव पूजा
जीवन में सुख, शांति और सौंदर्य की कामना है तो मन, वचन व कर्म में सत्य की मौजूदगी भी जरूरी है। शिव हो या शंकर हर स्वरूप व शब्द में भी शमन यानी सुख व शांति का भाव ही छुपा है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शंकर ने समुद्र मंथन से निकले घातक विष को पीकर जगत के दु:खों का शमन किया और इसी मंथन से ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई।
सिर्फ एक दिन की सजावट बना देगी अमीर
आपको जान कर अजीब लगेगा कि एक ही दिन की सजावट आपको अमीर बना सकती है। लेकिन ये सच है कि अगर आप सिर्फ दिवाली के ही दिन वास्तु के अनुसार सजावट कर लें तो भी आप पर धनलक्ष्मी खुश हो जाएगी।
जानें कैसी सजावट बना देगी अमीर
- दीपावली के दिन सुबह घर के बाहर उत्तर दिशा में रंगोली बनानी चाहिए।
- वास्तु के अनुसार घर में पौछा लगाते समय नमक मिला कर पोंछा लगाएं।
- घर के परदें पिंक कलर के होने चाहिए।
- घर के डायनिंग हॉल में कांच के बाउल में पानी भर कर उसमें लाल फूल रखें।
- घर में दीपक लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक में थोड़े चावल और कुंकु डाल कर रखें।
- घर के जिस कमरे में तिजोरी हो उस कमरे में लाल फूल बिछा कर रखें।
- तिजोरी वाले कमरे में पीले और पिंक रंग के परदें रखना चाहिए।
- दीपावली के दिन सुबह-शाम गुग्गल की धूप दें।
- घर की सजावट में पीले फूलों का उपयोग करें।
जानें कैसी सजावट बना देगी अमीर
- दीपावली के दिन सुबह घर के बाहर उत्तर दिशा में रंगोली बनानी चाहिए।
- वास्तु के अनुसार घर में पौछा लगाते समय नमक मिला कर पोंछा लगाएं।
- घर के परदें पिंक कलर के होने चाहिए।
- घर के डायनिंग हॉल में कांच के बाउल में पानी भर कर उसमें लाल फूल रखें।
- घर में दीपक लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि दीपक में थोड़े चावल और कुंकु डाल कर रखें।
- घर के जिस कमरे में तिजोरी हो उस कमरे में लाल फूल बिछा कर रखें।
- तिजोरी वाले कमरे में पीले और पिंक रंग के परदें रखना चाहिए।
- दीपावली के दिन सुबह-शाम गुग्गल की धूप दें।
- घर की सजावट में पीले फूलों का उपयोग करें।
आपके घर में रहेगी लक्ष्मी, जब दीपावली पर करेंगे यह उपाय
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार दीपावली के दिन विधि-विधान से यदि लक्ष्मीजी की पूजा की जाए तो वे अति प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा यदि दीपावली(26 अक्टूबर, बुधवार) के शुभ अवसर पर नीचे लिखे साधारण उपाय किए जाएं तो और भी श्रेष्ठ रहता है और घर में लक्ष्मी का स्थाई निवास हो जाता है। यह उपाय इस प्रकार हैं-
1- दीपावली के दिन पीपल को प्रणाम करके एक पत्ता तोड़ लाएं और इसे पूजा स्थान पर रखें। इसके बाद जब शनिवार आए तो वह पत्ता पुन: पीपल को अर्पित कर दें और दूसरा पत्ता ले आएं। यह प्रक्रिया हर शनिवार को करें। इससे घर में लक्ष्मी की स्थाई निवास रहेगा और शनिदेव की प्रसन्न होंगे।
2- दीपावली पर मां लक्ष्मी को घर में बनी खीर या सफेद मिठाई को भोग लगाएं तो शुभ फल प्राप्त होता है।
3- दीपावली की रात 21 लाल हकीक पत्थर अपने धन स्थान(तिजोरी, लॉकर, अलमारी) पर से ऊसारकर घर के मध्य(ब्रह्म स्थान) पर गाढ़ दें।
4- दीपावली के दिन घर के पश्चिम में खुले स्थान पर पितरों के नाम से चौदह दीपक लगाएं।
दीपावली: बहीखाता, कुबेर, तुला व दीपमाला पूजन विधि
दीपावली पर बहीखाता पूजन, कुबेर पूजन, तुला पूजन तथा दीपमाला का पूजन भी किया जाता है। इनकी पूजन विधि इस प्रकार है-
बहीखाता पूजन- बही, बसना तथा थैली में रोली या केसरयुक्त चंदन से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं एवं थैली में पांच हल्दी की गांठें, धनिया, कमलगट्टा, अक्षत, दूर्वा और द्रव्य रखकर उसमें सरस्वती का पूजन करें। सर्वप्रथम सरस्वती का ध्यान इस प्रकार करें-
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