कोई काम करते हुए दबाव बन जाना स्वाभाविक है, लेकिन तनाव में आ जाना ठीक नहीं। प्रेशर और टेंशन के बीच की लक्ष्मण रेखा को हमें समझना चाहिए। तनाव को सांसारिक दृष्टिकोण से देखेंगे तो हम पाएंगे कि हमारे आसपास नेगेटिव ऊर्जा एकत्र हो गई है, लेकिन आध्यात्मिक दृष्टि हमें सकारात्मक संकेत देगी। यह दृष्टि हमें बताएगी कि तनाव हमारी क्षमता को बढ़ा देगा। दरअसल तनाव सकारात्मक घटना का नकारात्मक नाम है। जीवन में जब तनाव आए, तब इसे चुनौती मानकर स्वीकार करेंगे तो तनाव दबाव में बदलेगा और दबाव की कार्यशैली हमारी योग्यता को बढ़ा देगी। एक प्रयोग किया जा सकता है। जब तनाव आए तो अपनी इंद्रियों पर लौट जाइए। उदाहरण के तौर पर जैसे आंख हमारी एक इंद्रिय है। हम आंखें बंद करें और पूरी तरह से उसी पर एकाग्र हो जाएं। एक आध्यात्मिक व्यवस्था है कि सभी इंद्रियां भीतर से अपने परिणामों को लेकर इंटरकनेक्टेट हैं। जिस दिन हम आंख नाम की इंद्रिय पर नियंत्रण करेंगे, हम पाएंगे कान पर भी हमारा नियंत्रण शुरू हो गया। आंख से जो हम भीतर दर्शन कर रहे होंगे, कान से भी दिव्य श्रवण होने लगेगा। यह एक नया अनुभव रहेगा। यह भीतरी अनुभव हमें बाहरी तनाव से मुक्त करेगा। बाहर काम तो होना ही है, आप नहीं करेंगे तो कोई दूसरा करेगा, पर तनाव से परेशान होकर आप उस दौड़ में या तो बाहर हो जाएंगे या लडख़ड़ाकर गिर जाएंगे। अंतिम सफलता या तो असफलता में बदल जाएगी या अशांति में। अत: तनावमुक्त होने के लिए अपनी इंद्रियों पर लौटने का यह छोटा-सा प्रयोग करते रहें।
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