स्वामी रामानंद़ को मध्यकालीन भक्ति आंदोलन का महान संत माना जाता है.उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के निचले तबके तक पहुंचाया.वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार किया.उनके बारे में प्रचलित कहावत है कि -द्वविड़ भक्ति उपजौ-लायो रामानंद.यानि उत्तर भारत में भक्ति का प्रचार करने का श्रेय स्वामी रामानंद को जाता है.उन्होंने तत्कालीन समाज में ब्याप्त कुरीतियों जैसे छूयाछूत,ऊंच-नीच और जात-पात का विरोध किया .
Wednesday, May 25, 2011
Monday, May 23, 2011
भक्त धन्ना
धन्ना एक ग्रामीण किसान का सीधा-सादा लड़का था। गाँव में आये हुए किसी पण्डित से भागवत की कथा सुनी थी। पण्डित जब सप्ताह पूरी करके, गाँव से दक्षिणा, माल-सामग्री लेकर घोड़े पर रवाना हो रहे थे तब धन्ना जाट ने घोड़े पर बैठे हुए पण्डित जी के पैर पकड़ेः
"महाराज ! आपने कहा कि ठाकुरजी की पूजा करने वाले का बेड़ा पार हो जाता है। जो ठाकुरजी की सेवा-पूजा नहीं करता वह इन्सान नहीं हैवान है। गुरु महाराज ! आप तो जा रहे हैं। मुझे ठाकुरजी की पूजा की विधि बताते जाइये।"
Sunday, May 15, 2011
विवाह के आठ रूप
कर्तव्य और जिम्मेदारियों के पैमाने पर ही इंसान की सही परख और पहचान होती है। इन दायित्वों को समझ और आगे बढ़कर आत्मविश्वास व सक्षमता के साथ पूरा करने पर इंसान पद, सम्मान, भरोसा, सहयोग और प्रेम पाकर जीवन को सफल बना सकता है। व्यावहारिक जीवन में जिम्मेदारियों के निर्वहन का ही समय होता है - गृहस्थ जीवन। आम भाषा में इसे घर बसाना और चलाना भी कहते हैं।
Friday, May 13, 2011
Wednesday, May 11, 2011
भगवान के भोग में डाले जाते हैं तुलसी के पत्ते
भगवान को भोग लगे और तुलसी दल न हो तो भोग अधूरा ही माना जाता है। तुलसी को परंपरा से भोग में रखा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार तुलसी को विष्णु जी की प्रिय मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार तुलसी डालकर भोग लगाने पर चार भार चांदी व एक भार सोने के दान के बराबर पुण्य मिलता है और बिना तुलसी के भगवान भोग ग्रहण नहीं करते उसे अस्वीकार कर देते हैं।
Tuesday, May 10, 2011
Monday, May 9, 2011
Sunday, May 8, 2011
हिन्दू धर्म के संस्कार
सनातन अथवा हिन्दू धर्म की संस्कृति संस्कारों पर ही आधारित है। हमारे ऋषि-मुनियों ने मानव जीवन को पवित्र एवं मर्यादित बनाने के लिये संस्कारों का अविष्कार किया। धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक दृष्टि से भी इन संस्कारों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति की महानता में इन संस्कारों का महती योगदान है।
Saturday, May 7, 2011
पर्व त्यौहार
पर्व त्यौहार
मई सन् 2011
व्रत एवं पर्व
1 मई: मासिक शिवरात्रि व्रत, अक्कलकोट के श्रीस्वामी समर्थ जी महाराज की महासमाधि तिथि (महाराष्ट्र), श्रमिक दिवस,
2 मई: श्राद्ध की अमावस, सोमवती अमावस्या पर्वकाल प्रात: 10.23 बजे से, सोमवारी व्रत (मिथिलांचल), पाक्षिक प्रतिक्रमण (श्वेत.जैन)
3 मई: स्नान-दान की वैशाखी अमावस्या, भौमवती अमावस, गंगा-स्नान करोड़ों सूर्यग्रहणतुल्य फलदायक, शुकदेव मुनि जयंती, पंचकोसी-पंचेशानि यात्रा पूर्ण (उज्जयिनी), सौर ऊर्जा दिवस, अन्तर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस
किसी आध्यात्मिक पुरुष या विशेष व्यक्ति को गरिमा प्रदान करने और सम्मान देने के लिए उसके नाम के आगे श्री लिखने का प्रचलन है। श्री की उत्पत्ति और अस्तित्व के संदर्भ में वेद, पुराण, उपनिषदों और किंवदंतियोंमें अलग-अलग व्याख्या दी गई है। कहीं लक्ष्मी को श्री कहा गया है, तो कहीं अलग-अलग होते हुए एक होने की बात कही गई है।
Friday, May 6, 2011
Wednesday, May 4, 2011
राम की है सीता
भगवती सीता श्रीरामचंद्र की शक्ति और राम-कथा की प्राण है। यद्यपि वैशाख मास के शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को जानकी-जयंती मनाई जाती है, किंतु भारत के कुछ क्षेत्रों में फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को सीता-जयंती के रूप में मान्यता प्राप्त है। ग्रंथ निर्णयसिंधुमें कल्पतरु नामक प्राचीन ग्रंथ का संदर्भ देते हुए लिखा है, फाल्गुनस्यचमासस्यकृष्णाष्टम्यांमहीपते।जाता दाशरथेपत्नी तस्मिन्नहनिजानकी., अर्थात् फाल्गुन-कृष्ण-अष्टमी के दिन श्रीरामचंद्र की धर्मपत्नी जनक नंदिनी जानकी प्रकट हुई थीं। इसीलिए इस तिथि को सीताष्टमीके नाम से जाना गया।
Tuesday, May 3, 2011
Monday, May 2, 2011
Sunday, May 1, 2011
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